बालिका शिक्षा

बालिका शिक्षा विद्या भारती का एक चिन्त्न आयाम है जिसका उद्देश्य भारतीय संस्कृनति की सरंक्षिका संवाहिका भावी पीढ़ी की निर्मात्री, श्रेष्ठ गुरू, श्रेष्ठ मॉं, श्रेष्ठा नागरिक के रूप में एक बालिका का समग्र विकास करना है।


वैदिक गणित

विद्या भारती ने 1995 से वैदिक गणित को अपने पाठ्यक्रम मे लिया तभी से विद्या भारती ने इसके प्रशिक्षण एवं शिक्षण की प्रभावी व्‍यवस्‍था रही । जिसका उद्देश्‍य प्राचीन काल से चली आ रही भारत में गणित की उज्‍जवल परंपरा से भैया-बहिनों को अवगत कराना तथा प्रयोगाधारित गणित शिक्षण और खेल खेल मे गणित शिक्षण कराना । अपने देश एवं महापुरूषो के प्रति गौरव एवं स्‍वाभिमान का भाव जागृत कराना ।


शिशु वाटिका

शिशु का शारीरिक, मानसिक, भावात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक विकास की अनौपचारिक शिक्षा पद्धति "शिशु वाटिका" के नाम से प्रचलित हुई. अक्षर ज्ञान और अंक ज्ञान के लिए पुस्तकों और कापियों के बोझ से शिशु को मुक्ति प्रदान की गयी |


विद्या भारती मालवा प्रांत

आज लक्षद्वीप और मिजोरम को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में 86 प्रांतीय एवं क्षेत्रीय समितियां विद्या भारती से संलग्न हैं. इनके अंतर्गत कुल मिलाकर 23320 शिक्षण संस्थाओं में 1,47,634 शिक्षकों के मार्गदर्शन में 34 लाख छात्र-छात्राएं शिक्षा एवं संस्कार ग्रहण कर रहे हैं. इनमें से 49 शिक्षक प्रशिक्षक संस्थान एवं महाविद्यालय, 2353 माध्यमिक एवं 923 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, 633 पूर्व प्राथमिक एवं 5312 प्राथमिक, 4164 उच्च प्राथमिक एवं 6127 एकल शिक्षक विद्यालय तथा 3679 संस्कार केंद्र हैं. आज नगरों और ग्रामों में, वनवासी और पर्वतीय क्षेत्रों में झुग्गी-झोंपड़ियों में, शिशु वाटिकाएं, शिशु मंदिर, विद्या मंदिर, सरस्वती विद्यालय, उच्चतर शिक्षा संस्थान, शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र और शोध संस्थान हैं |

कार्यक्षेत्र

विद्या भारती मालवा प्रांत द्वारा संचालित सरस्‍वती शिक्षा महाविद्यालय, सरस्‍वती शिशु मन्दिर संस्‍कार केन्‍द्र के माध्‍यम से केवल शिक्षा देने का कार्य नही करते इसके साथ -साथ राष्ट्रीयता, संस्‍कार , भारतीय संस्‍कृति एवं जीवन मूल्‍यों की शिक्षा देने कार्य भी करते है। जिसमें नगरीय क्षेत्र की शिक्षा, ग्रामीण क्षेत्र की शिक्षा, सेवा क्षेत्र की शिक्षा एवं वनवासी क्षेत्र की शिक्षा की वर्तमान एवं भौगोलिक स्थिति का उल्‍लेख किया गया है।

शिशु वाटिका

भारत में सामान्यता प्राथमिक विद्यालयों में ६ वर्ष की आयु पूर्ण होने पर बालक कक्षा प्रथम में प्रवेश लेकर अपने औपचारिक शिक्षा आरम्भ करता है. 3 वर्ष से 6 वर्ष का उसका समय प्रायः परिवार में ही व्यत

नगरीय विद्यालय

भारत में सामान्यता प्राथमिक विद्यालयों में ६ वर्ष की आयु पूर्ण होने पर बालक कक्षा प्रथम में प्रवेश लेकर अपने औपचारिक शिक्षा आरम्भ करता है. 3 वर्ष से 6 वर्ष का उसका समय प्रायः परिवार में ही व्यतीत होता है. प्राचीन

ग्रामीण विद्यालय

भारत में सामान्यता प्राथमिक विद्यालयों में ६ वर्ष की आयु पूर्ण होने पर बालक कक्षा प्रथम में प्रवेश लेकर अपने औपचारिक शिक्षा आरम्भ करता है. 3 वर्ष से 6 वर्ष का उसका समय प्रायः परिवार में ही व्यतीत होता है. प्राचीन

महाविद्यालयीन शिक्षा

वर्तमान मे सम्‍पूर्ण भारत में विद्याभारती द्वारा 40 महाविद्यालय संचालित हो रहे है जिसमें प्रशिक्षण केन्‍द्र बनाना, विद्या भारती द्वारा संचालित स्‍वत्रंत विश्‍व विद्यालय तथा पाठ्यक्रम के साथ ही विभिन्‍न माध

आवासीय विद्यालय

आवासीय विद्यालय – विद्या भारती मालवा द्वारा मन्‍दसौर व इन्‍दौर में छात्रों हेतु आवासीय विद्यालय की सुविधा है साथ ही माणिकबाग इन्‍दौर में छात्राओं हेतु आवासीय विद्यालय की सुविधा है जहॉ पर भैया-बहिनों को शुद्

जनजातीय क्षेत्र की शिक्षा

मालवा प्रांत मे सेवा क्षेत्र की शिक्षा के सन्‍दर्भ मे नगरीय एवं ग्रामीण विद्यालयों के माध्‍यम से सरस्‍वती संस्‍कार केन्‍द्र संचालित करते है इसके माध्‍यम से अनुसूचित जाति वर्ग के भैया-‍बहिनों को शिक्षा के सा

प्रकल्प

सदस्य

डॉ.कमल किशोर चितलांग्या

अध्यक्ष (नगरीय शिक्षाा)

श्री प्रकाश चन्द्र धनगर

सचिव (नगरीय शिक्षा)

श्री अखिलेश जी मिश्रा

संगठन मंत्री (विद्याभारती मालवा)

श्री पंकज पवार

प्रान्त प्रमुख (नगरीय शिक्षा)


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सांख्यिकी

2

संभाग

15

जिले

170

नगर

717

ग्राम

146

नगरीय प्रबंध समिति

47

ग्रामीण प्रबंध समिति

191

नगरीय विद्यालय

717

ग्रामीण विद्यालय

70063

नगरीय विद्यार्थी

72780

ग्रामीण विद्यार्थी

3146

नगरीय आचार्य परिवार

4043

ग्रामीण आचार्य परिवार

152300

पुर्वछात्र

18250

पूर्व आचार्य

41

पूर्णकालिक कार्यकर्ता

मीडिया

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